महागठबंधन का AIMIM को झटका: बीजेपी को हराने का दांव या वोट बंटवारे का डर?" "ओवैसी की चुनौती: बिहार में महागठबंधन के बिना कितनी ताकत?
AIMIM को बिहार में महागठबंधन से झटका, RJD-कांग्रेस ने गठबंधन से इनकार किया। क्या ओवैसी की पार्टी तीसरा मोर्चा बनाएगी या पूरी ताकत से लड़ेगी? बिहार चुनाव 2025 में सीमांचल की सियासत और वोट बंटवारे का विश्लेषण।
1. RJD और कांग्रेस द्वारा AIMIM को "सांप्रदायिक" कहकर गठबंधन से इनकार करने के फैसले को आप कितना सही मानते हैं?
2. क्या आप मानते हैं कि AIMIM को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन के साथ गठबंधन करना चाहिए था?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों के साथ महागठबंधन (Grand Alliance) में शामिल होने की इच्छा जताई थी। AIMIM का मकसद बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को हराने के लिए धर्मनिरपेक्ष वोटों का बंटवारा रोकना था। हालांकि, RJD और कांग्रेस ने AIMIM को गठबंधन में शामिल करने से इनकार कर दिया और सुझाव दिया कि अगर AIMIM वाकई बीजेपी को हराना चाहती है, तो उसे चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारना चाहिए। इस स्थिति ने बिहार की सियासत में एक नया मोड़ ला दिया है। आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं:
पृष्ठभूमि
- AIMIM की स्थिति: AIMIM, जिसके नेता असदुद्दीन ओवैसी हैं, ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में सीमांचल क्षेत्र की 5 सीटें (अमौर, कोचाधामन, जोकीहाट, बैसी, और बहादुरगंज) जीती थीं। इन सीटों पर AIMIM ने RJD के परंपरागत मुस्लिम-यादव (MY) वोट बैंक में सेंध लगाई, जिससे महागठबंधन को नुकसान हुआ और NDA को अप्रत्यक्ष लाभ मिला।
- 2020 के बाद की घटनाएं: 2022 में AIMIM के 5 में से 4 विधायक RJD में शामिल हो गए, जिसे AIMIM ने विश्वासघात माना। इससे दोनों दलों के बीच अविश्वास बढ़ा।
- AIMIM का प्रस्ताव: AIMIM के बिहार अध्यक्ष और अमौर विधायक अख्तरुल इमान ने जुलाई 2025 में RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई। उन्होंने तर्क दिया कि AIMIM का शामिल होना धर्मनिरपेक्ष वोटों के बंटवारे को रोकेगा और बीजेपी को हराने में मदद करेगा।
RJD और कांग्रेस का रुख
- RJD का इनकार: RJD ने AIMIM को गठबंधन में शामिल करने से मना कर दिया। RJD सांसद मनोज झा ने कहा कि अगर AIMIM बीजेपी को हराना चाहती है, तो उसे बिहार में चुनाव नहीं लड़ना चाहिए और महागठबंधन को "सैद्धांतिक समर्थन" देना चाहिए।
- कांग्रेस की आपत्ति: कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने AIMIM को "सांप्रदायिक" करार देते हुए गठबंधन में शामिल करने की संभावना को खारिज किया।
- कारण:
1. वोटों का बंटवारा: RJD और कांग्रेस का मानना है कि AIMIM की मौजूदगी, खासकर सीमांचल में, उनके मुस्लिम वोट बैंक को विभाजित करती है, जिससे NDA को फायदा होता है।
2. धर्मनिरपेक्ष छवि पर सवाल: RJD और कांग्रेस को डर है कि AIMIM के साथ गठबंधन से उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचेगा। बीजेपी इसे "मुस्लिम तुष्टिकरण" के रूप में प्रचारित कर सकती है, जिससे हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है।
3. पिछला अविश्वास: 2022 में AIMIM विधायकों के RJD में शामिल होने से दोनों दलों के बीच तनाव बढ़ा था।
4. सीट बंटवारे की जटिलता: महागठबंधन में पहले से ही RJD, कांग्रेस, वाम दल और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) जैसे सहयोगी हैं। AIMIM को शामिल करने से सीट बंटवारे में कटौती करनी पड़ेगी, जिसके लिए अन्य सहयोगी तैयार नहीं हैं।
AIMIM की रणनीति
- प्रस्ताव और शर्तें: AIMIM ने कहा कि वह महागठबंधन के साथ गठबंधन के लिए तैयार है, लेकिन सीमांचल की प्रमुख सीटों पर दावेदारी चाहती है। अख्तरुल इमान ने संकेत दिया कि पार्टी 50 से अधिक सीटों पर लड़ने की योजना बना रही थी, लेकिन गठबंधन के लिए कम सीटों पर समझौता करने को तैयार है।
- तीसरा मोर्चा: RJD और कांग्रेस के इनकार के बाद, ओवैसी ने "तीसरा मोर्चा" बनाने का संकेत दिया, जिससे बिहार की सियासत में नया समीकरण बन सकता है।
- चुनाव में पूरी ताकत: कुछ X पोस्ट्स में सुझाव दिया गया कि AIMIM को 2020 से ज्यादा उम्मीदवार उतारकर पूरी ताकत से चुनाव लड़ना चाहिए, ताकि वह अपनी ताकत दिखा सके और महागठबंधन को नुकसान पहुंचाने का आरोप न झेले।
सियासी समीकरण और प्रभाव
- सीमांचल का महत्व: बिहार के सीमांचल क्षेत्र में 24 विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2020 में AIMIM की जीत ने दिखाया कि वह इस क्षेत्र में प्रभावशाली है।
- महागठबंधन की चुनौतियां: RJD और कांग्रेस MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण पर निर्भर हैं। AIMIM की भागीदारी से यह वोट बैंक बंट सकता है, जिससे NDA को फायदा हो सकता है।
- बीजेपी की रणनीति: बीजेपी और उसका सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (JD(U)) मुस्लिम वोटों के बंटवारे का फायदा उठा सकते हैं। बीजेपी पहले से ही गैर-यादव ओबीसी और दलित वोटों को मजबूत करने पर काम कर रही है।
- AIMIM का जवाब: ओवैसी ने RJD और कांग्रेस के "बीजेपी की B-टीम" के आरोपों को खारिज किया और कहा कि उनकी पार्टी बीजेपी के खिलाफ लड़ रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर महागठबंधन उन्हें शामिल नहीं करता, तो चुनाव के बाद वोट बंटवारे का दोष AIMIM पर नहीं डाला जाना चाहिए।
वर्तमान स्थिति
- RJD और कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि वे AIMIM को गठबंधन में नहीं चाहते।
- AIMIM अब यह तय करने की स्थिति में है कि वह अकेले चुनाव लड़े, तीसरा मोर्चा बनाए, या फिर कुछ सीटों पर उम्मीदवार न उतारकर महागठबंधन को अप्रत्यक्ष समर्थन दे।
- X पर कुछ यूजर्स का मानना है कि AIMIM को ज्यादा उम्मीदवार उतारकर अपनी ताकत दिखानी चाहिए, ताकि वह सियासी तौर पर अपनी प्रासंगिकता बनाए रखे।
निष्कर्ष
AIMIM की महागठबंधन में शामिल होने की कोशिश बिहार की सियासत में एक जटिल समीकरण को दर्शाती है। RJD और कांग्रेस को डर है कि AIMIM का साथ उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि और वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकता है, जबकि AIMIM का मानना है कि वह बीजेपी को हराने में मदद कर सकती है। इस इनकार के बाद AIMIM के पास अब दो रास्ते हैं: या तो वह तीसरा मोर्चा बनाकर चुनाव लड़े, या फिर ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारकर अपनी ताकत दिखाए। इससे बिहार के चुनावी समीकरण और जटिल हो सकते हैं, खासकर सीमांचल में, जहां मुस्लिम वोट निर्णायक हैं।
यह मामला बिहार की सियासत में वोटों के ध्रुवीकरण, गठबंधन की रणनीतियों और क्षेत्रीय प्रभाव को दर्शाता है। AIMIM का अगला कदम इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
क्या आप मानते हैं कि AIMIM को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन के साथ गठबंधन करना चाहिए था?